सरहद पर खड़ा सिपाही
कहता है अपने पिता से
धैर्य रखो आऊँगा मैं
टूटी छत ठीक करवाऊँगा मैं।
वो कहता है अपनी माँ से
धैर्य रखो आऊँगा मैं
तेरे हाथ से
रोटी खाऊँगा मैं।
आया वो एक दिन
वादा उसने निभाया था
पर वो सच्चा सपूत
कफ़न ओढ़कर आया था।
जाते - जाते भी वो
कह गया अपनी धरती माँ से
धैर्य रखो मैं आऊँगा
मिट्टी का कर्ज़ चुकाऊँगा
- अनिता पाठक
22-06-2020