#Utmost can be possible only
if follows the soul voice always..!!!
My New Poem ,,,!!!
*जंगल जंगल ढूँढ रहा है..*
*मृग अपनी कस्तूरी...।*
*कितना मुश्किल है तय करना ...*
*खुद से खुद की दूरी....।*
*भीतर शून्य.. !*
*बाहर शून्य.. !*
*शून्य फैला चारो ओर है ..!*
*मैं नहीं हूँ मुझमें*...!!
*फिर भी "मैं - मैं"*...!!
*का ही शोर है*..!!
*भौतिकता की पकड़ में*...!!
*जकड़ा बंदा अंत:मन से*...!!
*खाली बाहर मचा शोर है*...!!
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