नैनों में समन्दर आंसू का
हदय में हाहाकार है
क्या कोई समझेगा मेरी पीड़ा को
उनके लिए तो व्यापार हैं
सर्वस्व न्यौछावर किया देश पे
इसका मुझको अभिमान है
करके दफन अपनी जख्मों को
पूरे अपने फ़र्ज़ करूं
कष्ट उठाऊ चाहे जितना
हर जनम तुम्हरा वरण करू।
....neerja..✍️