*** कविता ***
# दुलारा ***
बाँकी चितवन ने ,दिल लुट लिया ।
भोलीभाली सूरत पे ,दिल आ गया ।।
मोरपंख ने निगाह ,लुट लिया ।
टेढ़ी आकृति ने ,मन मोह लिया ।।
श्यामसुंदर तू तो ,अंखियों को भा गया ।
भोलीभाली गोपी का ,दिल चुरा गया ।।
मन ,प्राण ,चैन को ,साथ ले गया ।
सुदंरता ने चित्त ,को चुरा लिया ।।
मोहन तू तो दिल का ,दुलारा बन गया ।
तेरे पे करोडों का ,दिल न्यौछावर हो गया ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।