# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .उन्नति "
*** कविता ***
तन सुदंर हो ,मन प्रफुल्लित हो ।
चेहरे पर ,असीम मुस्कान हो ।।
चारोंओर ,धन धान्य भरा हो ।
उन्नत देश की ,यह पहचान हो ।।
जहाँ प्रकृति सदा ,खिलखिलाती हो ।
दिल में तरानें ,सुदंर बजते हो ।।
सब मिल जुल कर ,सदा नाचते गाते हो ।
दुःख जहाँ ,जाने से भी कतराते हो ।।
जहाँ खुशियों के ,फूल सदा ही खिलते हो ।
कोयल जहाँ ,पंचम स्वर में कुहूकती हो ।।
धरतीपुत्र ,मन ही मन हरषाते हो ।
ऐसी उन्नति की ,जहाँ झलक दिखती हो ।।
महकता आंगन ,खुशियों की झंकार हो ।
कहता बृजेश यही उन्नति ,के सच्चे पल कहलाते हो ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।