#माँ को समर्पित
हे माँ गर तुम ही ना होती,
मैं होता या फिर ना होता।
ऐसा होता वैसा होता,
मैं होता तो फिर क्या होता।।
हैरान बहुत हूँ सोंच सोंचकर,
बालों को अपने नोंच नोंच कर।
गर मुझको जीवन ना देती,
तो फिर क्या मैं बेजां होता।।
तुम सुंदर तो मैं सुंदर हूँ,
तुम निर्मल तो मैं निर्मल हूँ।
माँ तुम गर पावन ना होती,
तो क्या मैं पावन ना होता।।
तुम जैसी हो मैं वैसा हूँ,
बिल्कुल तेरे ही जैसा हूँ।
माँ तुम गर ऐसी ना होती,
मैं होता तो कैसा होता।।
-Panna