मुझे माफ़ करना सुशांत, लेकिन आज आपने, अपने लाखों करोड़ों चाहने वालों को एक बहुत घटिया संदेश और उदाहरण दिया है.. की तनाव में आकर हमें भी इस तरह सुसाइड कर, अपना जीवन ख़त्म कर लेना चाहिए.. क्योंकि सुशांत आपके मुताबिक किसी भी समस्या का हल तो कायरता दिखाकर ख़ुदकुशी करना ही है ना..?? यही सीख दे गए ना आप हम सभी को..??
माना कि मनुष्य चाहे कितना भी ग़रीब हो, या अमीर हो.. आम आदमी हो या कोई सेलिब्रिटी हो.. समस्या, परेशानी, विपदाएं, तनाव और दुःख तकलीफ़ हम सभी के जीवन में होती है.. लेकिन क्या इन सब का हल सुसाइड करना ही होता है..?? मुझे नहीं पता आपकी क्या परेशानी, तनाव, दुःख या दर्द दिल में था.. लेकिन आपको यह कदम बिल्कुल नहीं उठाना था..
आज तक तो मैं आपको हीरो मानता था, लेकिन आज से आप मेरी नज़रों में हीरो नहीं, ज़ीरो हैं, कायर हैं, डरपोक हैं.. जिसमें जीवन जीने और संघर्षों से लड़ने की हिम्मत नहीं थी.. यकीन मानो आपकी ख़ुदकुशी की ख़बर से मुझे दु:ख नहीं, बस हैरानी होती है.. क्योंकि मौत को यूं गले लगाना तो, कायरता की निशानी होती है..
चलो माना कि इंसान जब ज़रूरत से ज़्यादा तनाव में आ जाता है.. दुःखों का पहाड़ उस पर टूट पढ़ता है.. वो जीवन में अकेला पढ़ जाता है.. दिल का दर्द किसी से कह नहीं पाता है.. वो लूट जाता है.. बर्बाद हो जाता है.. लेकिन वो इन सबसे कीमती चीज़ ज़िंदगी को क्यों समाप्त कर जाता है..?? ईश्वर हमें जीवन और यह ज़िंदगी देकर सबसे खूबसूरत तोहफा देता है.. लेकिन हम उस तोहफे को ख़त्म कर इस तरह उस ईश्वर का क्या तिरस्कार नहीं करते..?? क्यों हम मन के दरवाज़े और दिल की खिड़की खोल कर संवाद नहीं करते..??
अभी उम्र ही क्या थी आपकी.. 34 साल, ज़िंदगी का आधा पड़ाव भी आपने ठीक से पार नहीं किया था.. और इतनी जल्दी हार मान ली.. चलो माना आप अब सारे तनावों से मुक्त हो गए हों.. लेकिन एक बात तो बताओ सुशांत.. क्या इस तरह अपने घर का दीपक बुझाकर, और बुढ़ापे में अपने पिता को यूँ एकलौता छोड़ कर, आपको ऊपर शांति मिल जाएगी क्या..??
अरे धिक्कार है आपकी मौत को.. आपसे लाख गुना अच्छे तो वो करोड़ों-करोड़ लोग होते हैं.. जो आप से 10 गुना ज्यादा परेशानी, दुख-तकलीफ, विपदाओं, समस्याओं और तनाव में होने के बावजूद.. संघर्ष करते हैं.. फटे कपड़ों में खुश होते हैं.. माँ-बाप के गुज़रने पर भी जीना नहीं छोड़ते.. धूप में तपते हैं.. मेहनत मजदूरी करते हैं.. ग़रीबी में भी खुश होते है.. बड़ी से बड़ी जिम्मेदारी भी उठाते हैं.. तनाव और डिप्रेशन में भी आते हैं, लेकिन आपकी तरह हिम्मत नहीं हारते.. .. क्या जवाब दोगे अपने उस बूढ़े पिता को, जो अभी पटना वाले घर में सदमे में 5 घंटे से लगातार रो रहा है..?? और हां आपकी फिल्मों और निजी जीवन से तो हमने बहुत कुछ सीखा है, तो क्या अब हमारे जीवन में भी तनाव परेशानी आए तो क्या हम भी आपकी तरह ख़ुदकुशी कर लें..??Dm