# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .निद्रालु "
# कविता ***
निद्रालु बहुत ,आलसी होता ।
हर समय सोने के ,बहाने ढूँढ़ता ।।
सही ढंग से कोई ,काम नहीं करता ।
हर समय आलसी ,बन कर पड़ा रहता ।।
पेट पालने के ,भी लाले पड़ जाते ।
धर वाले परेशान ,हो जाते ।।
आगे बढ़ने कि ,तमन्ना मर जाती ।
निद्रालु पडे पडे ,बिमारीयों का धर होता ।।
निद्रालु का जीवन ,कर्महीन हो जाता ।
कहता बृजेश अधिक सोना ,स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।