"ससुराल से मायके आई हुई बेटी,
निद्रालु नहीं होती,
यें तो निश्चिंता हैं,
मन आत्मा की,
जो ससुराल में नहीं होती.....
जिम्मेदारियों को सर पें उठाती,
बहुँ चैन की हकदार नहीं होती,
कर्तव्य पथ चलती,
रानी महलों की,
सुख की हकदार नहीं होती.....
लांघ देहली बाबुल के घर की,
ससुराल में दुआओं की,
हकदार नहीं होती,
कुछ पल थकान मिटाने सोने,
वाली बहुँ, निद्रालु,
नहीं होती....."
#निद्रालु