#Sarcastic never can heel by forgiveness..!!
My Realistic Poem...!!!!
अनगिनत छाले पाँव में लिए सूनी-सी
राहों में चलते चलते थक कर सो गए
सरे-राह मौत आई तो हम भी सो गए
भूख-प्यास तो थी,रोटी न थी साथ में
एक निवाला तक भी खा न सके,सो गए
ए हुक्मरानो तुम्हारी सियासत तुम जानो
हमारा क्या है, देखो अब हम तो सो गए
चलो कहानी हमारी तो यूँ ही ख़त्म हुई
तुम अपनीं सुनाते रहो आज हम सो गए
अँधेरे में हमने जो कभी दीप जलाया था
अब तुम्हीं चाहो तो बुज़ा दो हम सो गए
बूझते दीपक की लव फड़फड़ाते कहतीं
कुछ बूझने से पहले सुन सको तो सुनो
जाते जाते हर मर्ज़ भी शीख दे जाता है
शिख़ो हालातों से, हम तो बस सो गए
मज़दूरी से बनाए आशियाने अनगिनत
जीदगीं-भर अब चले अपने आख़िरी-से
आशियाने की ओर, हम तो बस सो गए
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