# आज _ की _ प्रतियोगिता "
# विषय .कटु **
# छंदमुक्त कविता **
मानव तेरी ,क्या हस्ती ।
एक हवा का ,झौका उड़ा ले जाता ।।
मानव तेरी ,ऊँची मिनारें ।
एक भूकंप तेरा ,आशियाना तेरा बिखेरता ।।
मानव तू इतना ,क्यूँ इतरता ।
एक कोरोना तेरी ,हस्ती मिटाये ।।
मानव तू अपने ,सौदर्य पर गर्व करता ।
एक दिन आग इसे ,जला कर मिटाता ।।
मानव तेरी विशाल ,वैभव सम्प्रदा ।
एक पल में तू ,रोड़ पर आये ।।
माटी के मानव तू ,माटी से क्यूँ प्यार करता ।
तेरा प्यार एक ,दिन तुझसे बिछड़ जाये ।।
सच्चा प्यार तू ,प्रभु से करले ।
पल में तेरा ,जीवन धन्य बन जाता ।।
उसका सच्चा आलिंगन ,तू करले ।
हाथ उठा कर ,वो तुझे बुलाता ।।
यह जीवन का ,कटु सत्य हे पगले ।
कहता बृजेश तू इसे पल ,में क्यूँ नहीं समझता ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।