दरवाजे की हर उस दस्तक पर राह थी तुम्हारी ,
Notification के हर उस message पे ख्वाहिश थी तुम ही हो !
भुल चुकी हुं मैं शायद हर वो दूसरे आशिक को जो मुझे मनाने की सौ तरकीब आजमा चुके थे ,
आज भी याद है मुझे हमारी वो पहली मुलाकात जब बातें कम और कोई देख लेगा वो डर ज्यादा था !
हा कहा था मैंने कई दफा की भूल जाऊंगी तुम्हें ,
लेकिन मुमकिन कहा समंदर में मिल चुकी सरिता को खोज पाना !
नहीं जानती जिंदगी के किस मोड़ पे इश्क की मंजूरी है ,
तुम ना आओ तो ना सही यु ही यादों में सिर्फ तुम ही हो !!
Urmi