तन्हाइयों में जाने क्यों मेरा घबराता है दिल।
फिर उन्हीं का हालेदिल पूंछने जाता है दिल ।।
कैसे ख़त भेजूं उन्हें क़ासिद नज़र आता नहीं ।
तुम बताओ क्या किसी पे टूटके आता है दिल।।
दर्द सीने में उठा फिर आंख जी भर रो लिए ।
पूछते ही राजेदिल फिरसे उभर जाता है दिल।।
अश्क उमङे फिर सुलगते रह गये अरमां मगर।
कह न पाये खुशबुओं से ऐसे सरमाता है दिल ।।
वाज़्म में हस्ती लुटाकर जिंदगी भर इस क़दर ।
नम रही आंख आहें ग़म से भर जाता है दिल।।
आलम मुहब्बत में मेरा मासूम दिल जलता रहा
पूंछते हैं फिरभी वो क्या इस तरह आता है दिल।।