मैंने अपने सारे बाग़ी जहाज़ों को उड़ा दिया
खुद से दूर कहीं
अब खाली समर्पण ही समर्पण बाकी है
कोई विरोध नहीं कोई अवरोध नहीं
अब मैं हूं मेरी ज़िंदगी है और मेरा अकेलापन
मेरा सदा सदा का साथी है
और किसी की मुझे परवाह ही नहीं !
क्योंकि मैंने अपने सारे बाग़ी जहाज़ों को.....
#बाग़ी