#बाग़ी
तेरी हर चीज़ और तस्वीर तो मे कब की मिटा चुंकि,
पर तेरी ये यादें बड़ी ज़िद्दी है, दिल मे ही है रुकी ।
रफ़्ता रफ़ता ये यादें हम पे बन चूंकि है 'बाग़ी',
तेरी बातें, वादे, रातें, हर हथियार से वार करने लगी।
और उस ख़ुदा को भी कहां हम पर तरस आया ?
हमारी इस तनहाई मे उन्होने बारीश को भेज दिया ।