#आज की प्रतियोगिता "
# विषय .बागी "
** कविता **
बागी का कोई ,नहीं भरोसा ।
बागी कभी भी ,धोखा देता ।।
बागी कभी ,विश्वासु नहीं होता ।
बागी देशद्रोही ,ही होता ।।
बागी विद्रोह की ,राजनीति करता ।
बागी खुराफाती ,ही होता ।।
बागी खुद चैन से ,नहीं रहता ।
बागी किसी को ,चैन से नहीं रहने देता ।।
बागी हर पल ,विनाश की योजना बनाता ।
बागी को हिरासत ,में ही रखना पड़ता ।।
बागी खुरापाती ,ही होता ।
कहता बृजेश बागी ,पानी में उतार कर रस्सी काट देता ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।