• अक्स पड़ता है चांद का मुझ में •
शोर कैसा है मुब्तला मुझ में
कौन रहता है दूसरा मुझ में
मैं किसी संकट के बंधन में हूं
एक सफर है रुका हुआ मुझ में
जाने किया था कि रात उसका ख्याल
रास्ता ढूंढता रहा मुझ में
टीमटीमाते रहे गली के चिराग
रक्स करती रही हवा मुझ में
कब से अपनी तलाश है मुझको
तूने क्या क्या छुपा दिया मुझ में
कितना सरसब्ज हो गया हूं मैं
कौन सा जख्म था हरा मुझ में
इस कदर गौर से ना देख मुझ में
अक्स पड़ता है चांद का मुझ में