अगर उग्रता त्यागी तुमने, तो सबके प्रिय बन जाओगे।
सारे सुख कदमों में होंगे,सब अनायास ही पाओगे।।
है जो भी धरा पर उग्र बना, उसने अपना सब कुछ खोया।
उस नर ने पश्चाताप किया,दिवस-रात्रि वह प्रति पल रोया।।
उग्र भाव से प्यारे सुन लो, कुछ भी तो हाथ न आयेगा।
तुमने जो भी एकत्र किया था, निश्चित ही सब कुछ जायेगा।।