ना शीघ्रता करो, बाबुल,
बेटी को विदा करने की,
कच्ची कली सी नाजुक,
कैसे सहेगी वक्त का चाबुक...!!!!
कुछ बन जाये, जिन्दगी में,
तो, हर पल जी लेंगी,
गर लग भी जाए,
चोट भरोसे को,
तो, शीघ्र संभाल लेंगी....!!!!
तुम शीघ्रता करतें हो,
यें सोच,
अपनें घर जाएँगी,
पर, यें सोंच,
परियों सी लाड़ो तेरी,
परायो के बीच कैसे,
रह पाएंगी....????
बाबा...तुझे दुआएं देंगी,
लाड़ली तेरी,
कर उसके सपनें पूरे....
शीघ्रता न करो,
बोझ उतारने की,
शीघ्र ही काँधे,
मज़बूत करने हैं उसके,
निर्भीकता से निभाने,
हर जिम्मेदारी.....!!!!!!
#शीघ्र