Hindi Quote in Song by रमेश तिवारी लल्लन गुलालपुरी

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विधा -          काव्यगीत 

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प्यारी  सी  सोन  चिरैया  है ,  

बुलबुल  सी  न्यारी  है  बेटी ,

घर-द्वार बना जिससे मंदिर , 

ऐसी  मृग - कस्तूरी है बेटी ।।


आँगन की प्यारी  तुलसी  है , 

पूजा की महकती धूपों  सी ,

सूरज की पहली मुस्कान यही , 

चन्दा की चाँदनी हैं बेटी ।।

                            

मनहार करौंदी पुष्प यही , 

उपवन में उमड़ती तितली -सी , 

मधुऋतु में चहकती कोयल है ,

पतझड़ में चमक सी हैं बेटी ।।


निर्झर नयनों की नीर यही हैं , 

करूण हृदय की पीर यही हैं , 

है चैन यही  व्याकुल मन की , 

ममता की सागर  हैं बेटी ।। 


यह छाँव जेठ की दुपहरी की , 

है ठाँव तपिस से बचने की , 

डूबते  को  तिनका  बेटी  है , 

अन्धे  की लकड़ी हैं  बेटी ।। 


बेटी  न  पराया धन केवल ,  

बाबा के कलेजे  की  टुकड़ा , 

है भाई की प्यारी शहजादी ,  

घर की खुशहाली  है  बेटी ।।


बेटी  है   दीप   दिवाली   की  ,  

बेटी  रंग  है   होली  की , 

उपहार  यही  है  क्रिसमस  की , 

ईद की  रौनक  है बेटी ।। 


बेटी तो लाज  पिता की  है , 

बेटी  ही  माता  की  इज्जत , 

बेटी  तो नाज  घरों  की  है , 

शिक्षा  के  लायक  है  बेटी ।।


बेटी  ही  दुर्गा - लक्ष्मी है ,  

बेटी  है  झाँसी  की  रानी , 

बेटी  ही  राधा - मीरा  है ,  

है जनकनंदिनी भी बेटी ।।


दो कुल  की है यह मर्यादा , 

संस्कृति की  सुंदर  परिभाषा ,

मान  राष्ट्र  की  शान  यही हैं , 

जीवन - संचार  करे बेटी ।।


यह सुन्दर श्रृंगार प्रकृति की है, 

गीतों की झंकार मधुर सी है ,

यह प्रेम सृजन करती जग में, 

सृष्टि  की  संबल  हैं  बेटी ।।


बेटी पर जो अत्याचार करें , 

अस्मत  पर उसके  वार करें , 

हत्यारा  है  वह  संस्कृति  का , 

रक्षा  की  धागा  है  बेटी ।।


आ बेटी से हम प्यार करें ,  

हर  खुशियाँ  उसपे  वार  करें ,

ना  उनमें  कोई  अंतर  हो ,  

बेटा  के  सदृश  होवें  बेटी ।। 


प्यारी  सी  सोन  चिरैया  है ,  

बुलबुल  सी  न्यारी  है  बेटी ,

घर-द्वार बना जिससे मंदिर , 

ऐसी मृग - कस्तूरी  है बेटी ।।


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रचना : रमेश तिवारी लल्लन गुलालपुरी 

पता : गुलालपुर सहसों प्रयागराज उत्तर प्रदेश

Hindi Song by रमेश तिवारी लल्लन गुलालपुरी : 111465351
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