किसी शख्स को....
तब
दिवाने आम से दिवाने खास बनने की खुशी तिनके जैसी लगने लगती है,
जब
वह ही शख्स
दिवाने खास से दिवाने आम बनने के गम के सागर में कहीं भी, खुद को दूर दूर तक खोज नहीं पाता।
अपनी खास शख्सियत को जवाहरात की तरह सम्हाल के रखियेगा,
क्या पता फिर उस तिनके को सागर का किनारा मिले ना मिले....!