शांत
माचिस की पट्टी पे,
उसकी ही तीली,
निकल ले बगल से,
तभी तक भली।
जो छू ले ज़रा सा
परम क्रोध में भर,
बिफरती, धधकती, जली।
माचिस की तीली
औ' माचिस की पट्टी,
दोनों की रहती है,
आपस में कट्टी।
मृदुल जल है दोनों,
का साझा सखा,
रखता है वह शांत,
उनको तभी, जब,
किसी ने हो उसको चखा।
#Peaceful