शांत

माचिस की पट्टी पे,
उसकी ही तीली,
निकल ले बगल से,
तभी तक भली।
जो छू ले ज़रा सा
परम क्रोध में भर,
बिफरती, धधकती, जली।
माचिस की तीली
औ' माचिस की पट्टी,
दोनों की रहती है,
आपस में कट्टी।
मृदुल जल है दोनों,
का साझा सखा,
रखता है वह शांत,
उनको तभी, जब,
किसी ने हो उसको चखा।

#Peaceful

Hindi Poem by Yasho Vardhan Ojha : 111461875
Priyan Sri 4 year ago

क्या बात है 👌

shekhar kharadi Idriya 4 year ago

अत्यंत सराहनीय एवम उति उत्तम सृजन शैली

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now