औरत शब्द न खो जाए
एक भी ऐसा ना देखा
बिन स्वार्थ औरत को अपनाए
औरत यही ना समझ पाए
क्या खोया क्या पाएं।
ऐसा न हो जीवन में
खोए शब्द से नाता जुड़ जाए।
एक छोड़ दूजां अपनाए।
एक नए रिश्ते के लिए
सब कुछ छोड़ कर आ जाए।
मां का आंचल छोड़
घूंघट को अपनाए
तभी तो औरत कहलाएं।
सम्मान खोए ,अभिमान खोए, पहचान खोए,
फिर भी कुछ न पाए,
खोते-खोते इस संसार से
कहीं औरत शब्द ना खो जाए........