हर तब्बसुम(चेहरा) कुछ कहता है
हर चेहरे का अपना किरदार है!
कुछ अपने तो कुछ गैर है!
हर किरदार के अपने रंग है!
हर धुँद मे चेहरे कुछ अजनबी ख्वाब के चेहरे है !
कुछ रंजिश तो कुछ दर्द होते है!
हर चेहरा कुछ कहता है!
कब्ल ए रिफाकत से अदावत करते है!
कुछ खामोश तो कुछ शोर करता है !
हर चेहरा कुछ कहता है !
कुछ उम्दा तो कुछ संजिदा है!
हर चेहरे पर राज गहरा है !
हर तबस्सुम के वस्ल ए रंजिश है!
हर चेहरा कुछ कहता है!
यहाँ दिलों में सोज और लबों पर झूठी मुस्कराहत है
हर चेहरा कुछ कहता है!