चित्कार
आज मन भारी हो गया कर रहा है चित्कार बहोत...
क्यू नही समझ पाते ममता मां की...
क्यों क्यू कर रहे है हैवानियत सा काम...
कबतक होगी करुणा की कसौटी...
क्यू भूल जाते मां को...
मां चाहे इन्सान की हो चाहे पशु की हो चाहे पक्षी की हो...
मां सिर्फ मां होती है मां है तो अस्तित्व है
सुनने से मन व्याकुल हो जाता है तो...
बेदर्द कार्य करने से हाथ क्यू नही कांपते
क्या संवेदना मिट गई है दिल से ???