सही रचनाकार,
सुंदर अथंकर।
उत्तम कोंटेंट,
सराहनीय कोमेंट।
क्रिएटिव लेखक,
प्रशंसनीय पाठक।
भाषाओं का वैविथ्य,
साहित्य का सानिध्य।
संपूर्ण भारत
एक स्थल पर,
सालों से रहे हम
आत्मनिर्भर।
ना विदेश को नफरत,
फिर भी स्वदेशी की एहेमियत।
यही तो है
सब का सारथी,
यही तो है
मातृभारती।