जख्म
सच मान मां,
मैंने दूध का कर्ज़ चुकाया है।
रोते हुए जख्मों पर,
हंसता हुआ पोस्टर बनाया है।।
लोग कहते हैं गजब की चित्रकार है,
दिल से आवाज़ आई
अभी भी कुछ उधार है।।
नाजों से पाला पोषा,
रोम-रोम तेरा कर्जदार हैं।
तूने शिक्षा दिलाया यह कहकर,
कि ये तेरा अधिकार है।
ये तो मां का प्यार है।।
सच मान मां शिक्षा-दीक्षा काम न आया।
इस निर्लज्ज संसार में,
दहेज और सहनशक्ति ही हथियार है।
मान मेरी बात मां,
मौत से पहले ही ससुराल में चिता तैयार है।
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