अहमियत नहीं अब किसीके दिलो मे
अक्सर शब्द मेरे फिसल जाते है
इंसान को शेर कहु तो ठीक
जानवर कहु तो रूठ जाता है
सच्चाई सामने है इंसानियत की
फ़कीर है सब अपने ईमान के
अगर राजा कहु तो ठीक
भिखारी कहु तो रूठ जाता है
है फासले इंसानों मे इंसानों के लिए
भेद भाव देखता हु हरजगह
गरीब की कोई सुनता नहीं
अमीर का फ़ोन पे काम हो जाता है
समानता मिलती है झूठी यहाँ
अभी देश का हालचाल देख लो
हम सब एक है कहने वाले के
ज़ेबे चेक करलो..
बस तुम्हारे वादे नहीं चाहिए
कुछ कर भी दिखा तू
इंसानों की बस्ती मे तू इंसान बन कर दिखा तू