भूली मोहोब्बत की ये खूशबूँए हैं हवाओं में फैली हुई
छूकर मुझे आज महसूस कर लो वो यादें मेरी अनछुई
यादों के धागों में हमतुम बंधे हैं जरा डोर तुम थाम लो
बाहों में फिर से पिघल जाने दो मुझको फिर से मेरा नाम लो
ऐसा मिलन फिर हो ना हो ...सबकुछ मेरा तुम ही तो हो....