"पत्रकार"
रातो का ये ताजमहल बनाकर,
झूठी बातो को सच्चाय का रंग लगाते हो।
कोई सिखे आपसे ये अदाकारीया,
कलम का हाथ पकड़ कर शब्दों का जाल रचाते हो।
खेल,राजकारण,शिक्षा की बातें निराली,
हमको देश-विदेश के किस्सों से अवगत कराते हो।
रात हो या दिन ख़बरों को लिखना काम तुम्हारा,
इन ख़बरों को समाज का आईना बता ये हो।
ली,
मोनाणी मानसी