प्रेम को समजना है तो राधेकीशन को समजलो, राधा सीर्फ क्रीश्न की दीवानी और क्रीष्न तो कीरतार है पालक है , उन्होने अपनेकर्तव्यका पालन कीया, गोकुल छोडके भी गये , लेकीन सदेव राधाकी प्रीत बनके साथ रहे ,राधा को मीलो या क्रीश्ना से वोतो दोजीष्म एक प्राण है।। कोई स्वार्थ नही कोई पाप नही, कोई अवीस्वास नही ,और कीसीपे कोई शंका नही, वोतो एक ही है दीलसे एक।।