अबसे इस समाज के बनाये हुए
दकियानूसी नियमों
के तहत तुझे जीना होगा,
तू अपने सम्मान के लिए बोल कर तो देख
चरित्रहीन का कलंक ढोना होगा।
हां सखी अब तू बिल्कुल शून्य की तरह,
हो जा नहीं तो बेवक्त
पिता की लाश पर रोना होगा।
अब तू सी ले अपने होंठों को,
दर्द भरे धागों से
नहीं तो खून के आंसू रोना होगा।