आप कोनसी मिटटी का पुतला है पुरी जींदगी मे वो तलाशताही रहूँगा।
आपकी एसी ही मुसकान देख के मे आख बंध करके गुनगुनाता ही रहूँगा।
अब बात चल गई है तो पीछे नही हटुंगा।
जो हमारे अंदर चल रहा है वो महसूस करता ही रहूँगा।
आप कोनसी मिटटी का पुतला है पुरी जींदगी मे वो तलाशताही रहूँगा।
तलाशताही रहूँगा।