शहर सपनों की एक जगह, पर सुकून की तलाश में अब गांव ही नज़र आता है
वो सिनेमा, वो चाट चौपाटी अब मन मे सलती है,और अब नीम की छांव ही प्यारी लगती है,
पिज़्ज़ा तो यहा मिलता नही,मा दादीके हाथ की रोटी में आज भी मिठास है
लगता है सपनो की तलाश में दूर चले गए,पर ये गाव ही बड़ा प्यारा था