आबाद किया ,आजाद किया ,
मुजमे से तुजको मुक्त किया ।
तेरी हर बात पे सर जुलाना बारबार ,
इस सर दर्द से तुजको मुक्त किया ।
छोटी से भी छोटी तेरी बात को अहेमियत देना ,
समर्पण के निश्वार्थ भावसे तुजको मुक्त किया ।
हर प्रभाव मेरा जो तुज को प्रभावित किया करता था ,
भाव का अभाव दिखलाकर तुजको मुक्त किया ।
आहट पे भी ख़ुशी रहती थी ओर घंटो इंतज़ार छिपाना ,
वक़्त पे छोड़ के वक़्त से तुजको मुक्त किया ।
बस ! हरीभरी रखना राधा के श्याम की लीला ,
ह्रदय में बिठाकर रुक्मणि के बंधनसे तुजको मुक्त किया ।
" हृदय "