Hindi Quote in Poem by HEMANGINI

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क्यों नुमाइश करू में अपने माथे पर शिकन की ,
में अक्सर मुस्कुरा के इन्हे मिटा दिया करती हूं ।

क्योंकि जब लड़ना है खुद को खुद ही से ..! तो हार और जीत में कोई फर्क नहीं रखती हूं.. हारू या जितुं कोई रंज नहीं है ,

कभी खुद को जीता देती हूं , कभी खुद ही जीत जाती हूं ,इसीलिए भी मुस्कुरा दिया करती हूं ।
#खुद

Hindi Poem by HEMANGINI : 111448173
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