खुद अपने आप से ही, हम रुस्वा हो गए
हसीन खयाल तो नही, हम रुस्वा हो गए
मिलन नसीब मैं था ही, फिर जुदाई कैसी
यह बेअंदाज़ तो नही, हम रुस्वा हो गए
खिलते है हसीन फूल, रहेमत खुरशीद की
नजा़कत कायम तो नही, हम रुस्वा हो गए
हम लुटाते रहे, खजा़ना ए महोबत खास ही
अमीरी कायम तो नही, हम रुस्वा हो गए
हर रुखसत का अंजा़म, मिलन की मौज़ है
बिछडना कायम तो नही, हम रुस्वा हो गए