Hindi Quote in Story by Saroj Verma

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पाषाणी..!!

सुनहरे बार्डर वाली सुर्ख लाल रंग की साड़ी पहन कर,बीच से मांग निकाल कर ,लाल मोटा-मोटा सिन्दूर भरकर,घने बालों का जूड़ा बनाकर,लाल गुलाब से सजाकर,माथे पे लाल बड़ी सी बिंदी,मांगटीका और नाक में बड़ी सी नथ और कानों में बड़े-बड़े झुमके , गले में सोने का हार और मंगल सूत्र,हाथो में लाल-लाल चूड़ियां , सोने के कंगन के साथ, कमर में कमरबंद और पैरों में पायल और बिछिया।
इतना सब पहनकर रानी लग रही थीं, अहिल्या
हर कोई तारीफ कर रहा था,उसे तो सुन्दर ही लगना था,दुल्हन की बुआ जो थी,सारे नेगचार उसे जो करने थे। कुछ बुरा भी कह रहे थे कि देखो पति की इतनी तबियत खराब है और ये कितना बनीं संवरी है, लेकिन अहिल्या ने ध्यान नहीं दिया,बस सारे नेगचार बखूबी निभा रही थीं।
विदा होते-होते रात से सुबह के आठ नौ बज गये। सब आराम से निपट गया।
अहिल्या एकान्त में बने छत वाले कमरे में गई और अपने मांग का सिंदूर मिटाकर, चूड़ियां फोड़ कर,
अपने ससुराल के वर्षों पुराने बूढ़े नौकर से बोली, जो रात-भर से उसके पति के पास बैठे थे।
रामू काका नीचे जा कर सबसे कह दो,कि छोटे ठाकुर का रात को स्वर्गवास हो चुका है।
रामू काका बोले,एक वो अहिल्या थी,जिसे गौतम ऋषि ने चरित्रहीन कहकर पाषाण में बदल दिया था,एक आप जो सिर्फ परिवार की भलाई के लिए पाषाण बन गई।

सरोज वर्मा___

Hindi Story by Saroj Verma : 111445103
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