इश्क़ है तुमसे,
अब यें बयां करना है,
नज़रो से तेरे,
दिल में उतरना है.....
ता उम्र इतंजार किया तेरा,
अब तेरे बिना,
न एक पल,
गुज़र करना है.....
यादों के फूल जो,
महकाते थे दामन,
अब उन फूलों की महक से,
रोम रोम पाक करना है.....
रोज़े रखे हैं तुझसे,
जुस्तजू की आस में,
अब इन लबों को,
इफ्तांऱ करना है....
साक़ी का मयखाना,
पी गए सारा,
अब तेरी अदाओं से,
नशा करना है.....
उल्फ़त की जुंबा,
मगरुर हैं ज़ालिम,
अब इसी ज़ालिम के हाथों,
लबों को लबरेज करना है.....
ख़ामोश थे हम,
अब तलक,
अब हमें,
हाले दिल
इज़हार तुम से करना है......!!!!!
📝📝नेहा चौधरी की कलम से✍️✍️