मेरी गजल
तुम्हारी चाहत में हम क्या से क्या हुए
तुम्हें पाना तो दूर,इश्क में रुसवा हुए
हम आशिको का गम कोई क्या समझे
जिसने इश्क किया है, वही हमारा गम समझे
ऐ खुदा किस फुरसत से तुमने उसे बनाया
जिसे देखते ही हर कोई अपना समझे
अपनी चाँद सा मुखड़ा हमें भी दीदार कराना
जिसे देखकर हम खुद को खुशनसीब समझे
तुम्हारी दीदार के लिए हम फकीर हुए है
ये आईना भी तेरा दीदार करके खुद को आशिक ना समझे
:कुमार किशन कीर्ति
-- Kumar Kishan Kirti
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