चुनाव आयेंगे बार बार।
बूथ लूट, कर भ्रष्टाचार।।
रोज रोज बैठकें करना।
जब तक पट जाए यार।।
आम आदमी आप होगा।
सबका हो पूरा सत्कार।।
गधे को भी बाप बनाना।
भूल भुलाकर पूरी खार।।
साम दाम दंड भेद सूत्र।
जो लगावेगा बेड़ा पार।।
कोरोना केवल एक बार।
लाचार हुआ पूरा संसार।।
कोई नहीं बनता अपना।
कैसे हलका होगा भार।।
अब कोरोना की दहशत
जीवन हुआ तार तार।।
काम नहीं भोजन नहीं।
बढ़ रहा पापों का भार।।
साधन नहीं सफर नहीं।।
कैसे चलेगा जीवन यार।।
न कुछ तेरा सब है मेरा।
अब अपना ही घर बार।।
मंदिर छूटा रब भी रुठा।
कौन लगाये नैया पार।।
सब ने कान बंद किए।
अब कैसे करे पुकार।।
सियासत सर मैला हुआ।
एक भैंस करे विचार।।
कोई बतावै जन्नत कैसी।
आप मर पावे हरिद्वार।।
कहत सोहल कुछ कर।
किस्मत बदले तलवार।।
गुरदीप सिंह सोहल
हनुमानगढ़ जंक्शन (राजस्थान)