कोरोना ने ये हालत बनाई।
जनता मर मर करे दुहाई।।
लाॅकडाउन का पालन करो।
घर में बैठो बहन और भाई।।
पुलिस का डण्डा काम करे।
काम आये डाक्टर न दवाई।।
कोरोना से बचके रहना जी।
बाद में काम न आवे भाई।।
उपचार से बचाव अच्छा है।
बुलाओ घर में नर्स व दाई।।
अखबार पढ़ो टी वी देखो।
लगाओ मेज कुर्सी तिपाई।
चाय पी लो नाश्ता कर लो।
ब्रैड पकौड़ा घी जैम मलाई।।
पूरा परिवार बैठ के खाओ।
बिछाओ केवल एक चटाई।।
काम धन्धा बेपटरी हो रहा।
मेहनताना मिला न कमाई।।
खेती बाड़ी लुट गई सारी।
गल्ला गुल्लक इसने घटाई।।
बाजार गए न सिनेमा देखा।
अर्सा हुआ कचौरी भी खाई।।
रिश्ते नाते लटक गए सारे।
पता नहीं कब बजे शहनाई।।
बच्चे करते शरारत घर में ।
स्कूल देते आॅनलाइन पढ़ाई।।
बर्तन चौका झाड़ू पौंछा।
कुल मिला के पूरी सफाई।।
ये कर दो वो सब कर दो।
तले बिन तेल बिन कढ़ाई।।
सोचा साफ मना कर दूं।
द्रोपदी जैसे कराये लड़ाई।।
टालमटोल भी कर न सकूं।
चलती नहीं कोई चतुराई।।
आराम न करने दे दो घड़ी।
घर मे जान खाती लुगाई।।
बंदा बना नौकर बीवी का।
आती नहीं कामवाली बाई।।
बावा जी बने केश बढ़ाए।
हजामत की न मिला नाई।।
घर में पूजा कर लेते भाई।
तन मन में मंदिर ले बनाई।।
सभी देवियां घर में आई।
चण्डी काली पारबती माई।।
सोहल पूरा लाॅक हो जाता।
घर में करले भूरे बाल डाई।।
गुरदीप सिंह सोहल
हनुमानगढ़ जंक्शन (राजस्थान)