मोहब्बतें
जब से उनसे मोहब्बतें हुई है
ना दिन को चैन
ना रात को नींद आती है
बताए भी तो बताए
कैसे उनसे?
हमें उनसे मोहब्बत हुई है
यह मोहब्बत की दास्तां
बड़ी अजीब होती है
निगाहों से शुरू होकर
जुबां पर क्यों रुक जाती है?
हम दिल से जिसे चाहते हैं
अपना मनमीत जिनको मानते है
क्यों अपनी मोहब्बत
उनसे छुपाते हैं?
आज तक मैं समझ
नहीं पाया हूँ, क्योंकि
मैं खुद उनसे अपनी
इजहार-ए-मोहब्बत
कर नहीं पाया हूँ
:कुमार किशन कीर्ति
युवा शायर, कवि