अतीत के धागों को कितना भी काटूँ
मन के माँझे से
फिर भी यह जिंदगी की #पतंग उड़कर
दूर पहुँच ही जाती बादलों के पार
वही ख्वाहिशें मस्ती की,
वही ऊँचाइयों की जिद
हथेलियों में डोर रहती किसी और के
फिर भी कहाँ परवाह रहती इसे इन बातों की
यह दिल तो सिर्फ उड़ान भरना जानता है!!
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