#पतंग
रंगबिरंगी पतंग से सजा है मस्त मलंग आसमाँ
भागे-भागे रहते है सारे उनमुक्त पंछी यहाँ
सरेआम जश्न में डूबे है मनमौजी इंसान अभी
अक्सर उड़ने से कतराते है नन्हें-नन्हें परिंदे यहाँ
कहा टहलने जाए, कहा भूख तृप्त करें
हर तरफ फैली है डोर कि माया जाल यहाँ
कही उलझे तो पंख कट जाए, अपंग बन जाए
जरा सी फिक्र किसको बेजुबान परिदों कि यहाँ
सारे व्यस्त है खुशियों का बेशुमार आनंद लूटने
वो रक्तरंजित होकर धीरे-धीरे दम तोड़ते रहे यहाँ
- शेखर खराड़ी ईड़रिया
२०/५/२०२०