(कविता)
अा गया देखो बसन्त
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अा गया देखो बसन्त।
छा गया देखो बसन्त।।
रात चांदी की चमक,
दिन हुआ देखो बसन्त।
मुक्त मेघों की तरह,
छा गया देखो बसन्त।
मन मयूरा हो गया,
तन हुआ देखो बसन्त।
पतझड़ से निकल कर,
अा गया देखो बसन्त।
लग रहा सब कुछ मनोरम,
हर घड़ी देखो बसन्त।
हर्ष की रेखा खिंची,
खुश हुआ देखो बसन्त ।
गर्म मौसम की तरफ,
बढ़ रहा देखो बसन्त।
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~राम नरेश 'उज्ज्वल'
मुंशी खेड़ा,
पोस्ट: अमौसी एयरपोर्ट,
लखनऊ-226009.
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मो:07071793707