वो भी क्या दिन थे जब हम घर जाने को तरसते थे
और आज बहार जाने के लिए तरस गये है
वो भी क्या दिन थे जब हम थक जाते थे काम करते करते और आज थकना भी लाजमी है आराम करते करते वो भी क्या दिन थे जब हम आजद थे
और आज कैद है तब आजादी का मतलब नही
जानते थे पर अब जान गये है स्वतंत्रता क्या होती है
वो भी क्या दिन थे जब हमे अपनों के लिए फुरसत नही थी और आज वक्त ही वक्त है
वो भी क्या दिन थे जब इतवार इतवार था
और आज हर दिन इतवार है
वो भी क्या दिन थे जब मुल्क में सब
साथ मिलकर रहते थे और आज दूरि ही दुरियां है
वो भी क्या दिन थे जब कुर्बते थी और आज फासले है
वो भी क्या दिन थे