मानता मैं पागल हूं
मगर ये पागलपन भी
मुझे अब अच्छा लगता
यह तुम्हारी ही तो देन है
प्यार करता मैं तुझसे
पूछ लो अपने दिल से
नफरत का इजहार
मैं तुमसे कैसे कर पाऊंगा?
चाहा कितनी शिद्दत से
तुझे पाने की खातिर
खुद को मैं अब भूल गया
तुझे याद रखने के खातिर
प्यार का यह सिला
पागलपन अब मुझे मिला
सच्चे प्यार करने वालों
तुममें यह कैसा गिला?
©️ संजय मरांडी
#KAVIYOTSAV -2