बस नजरिया चाहिए..
आबरू की तौहीन हो गई, तबियत जो थोड़ी शौकीन हो गई,
शौक से जीने को और क्या?, बस एक नजरिया चाहिए।।।
माना की वख्त दुशवार था, पर दिल अभी भी गुलज़ार था,
गुलिस्तां बनाने जिंदगीको गुल नही,बस एक नजरिया चाहिए
तू अगर जो हामी रहे, फिर भले दुनिया भर से गुमनामी रहे,
नही परवाह गैरों की बस,जिंदगी को अब तेरा जरिया चाहिए।
शम्मा हूँ पर शबाब नहीं, अंधेरा कह लो, पर आफ़ताब नहीं,
रोशनी देने इस जहाँ को बस, तेरे इश्क़ का दरिया चाहिए।।।
आग और पानी और नहीं, कोई चेहरा अब नूरानी और नहीं
खुली आँखों से देखा मगर,अब बंद करने को नजरिया चाहिए।
जिंदगी बीताने को और क्या??, बस एक नजरिया चाहिए, बस एक नजरिया चाहिए।।।